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सोमवार, 24 अगस्त 2009

नन्हा सैनिक

नन्हा सैनिक
गोलू वीर और सहासी बालक था। हर रोज बन्दूक लिए वह घर से दूर इन पहाड़ियों पर आता और दिनभर इधर-इधर निशाना साधता। वह बड़ा होकर सैनिक बनना चाहता था क्योंकि उसका पूरा देश युद्ध स्थल में बदल चुका था। बहुत कम नागरिक बचे थे। अधिकतर युद्ध मे मारे जा चुके थे।अब यहां वहां सैनिक टुकड़ियां छापामार युद्ध कर रही थी। ऐसे ही एक दिन गोलू बन्दूक लिए पहाड़ी पर पहुँचा । अभी उसने एक दो निशाने लगाये ही थे कि उसे एक ‘कराह’ सुनाई पड़ी। कान चौकन्नें कर वह आहट लेने लगा। तभी उसकी नजर नीचे ढ़लान में पडे आदमी पर पड़ी। ‘शायद वह घायल है, उसे मेरी सहायता की जरूरत है।’ सोचता हुआ गोलू ढ़लान की ओर चल पड़ा, वहां पास ही एक पानी का नाला बह रहा था। गोलू ने पास जाकर देखा- वहां घायल आदमी बेहोश था। आगे बढ़ गोलू ने उसे सीधा किया। सैनिक वर्दी पहने घायल के शरीर पर जगह जगह घाव थे जिनमें से खून रिस रहा था। उसका पूरा शरीर सर्दी से अकड़ गया था।गोलू ने जल्दी ही आसपास से कुछ घास फूस व सूखी टहनियां बटोरी और दो चकमक पत्थरों को रगड़ उनमें चिंगारी पैदा की घास ने आग पड़क ली। घायल सैनिक के घावों से निरंतर खून बह रहा था। जिसे रोकने के लिए उसके पास पटटी या कोई कपड़ा नहीं था। उसने यहां वहां नजर दौडाई, दूर तक कोई नजर नही आया। तभी उसे एक उपाय सूझा। अपना ओवर कोट उतार उसने अपनी कमीज उतार ली और उसें फाड़कर वह सैनिक के घावों पर पटिटयों की तरह बांधने लगा। आग की गर्मी पा घायल सैनिक का अकदाया बदन कुछ हरकत में आया। वह पानी पानी.....कराह उठा। गोलू दौडकर बहते नाले मे से थोड़ा कपड़ा भिगो लाया और उसके मुंह में पानी की बूंदेटपकाने लगा।पानी पाकर वह होश में आने लगा। ‘‘मै कहां हूं ...... तुम कौन हो? कराहते हुए सैनिक ने कहा- ‘‘मै गोलू हूं। मुझे तुम यहां घायल अवस्था मे बेहोश पड़े मिले।’’ मै तुम्हें घर ले जाना चाहता हूं ताकि तुम्हारे घावों पर ठीक से मरहम पट~टी की जा सकें।एक नन्हें बालक की अपने प्रति गहरी संवेदना देख उसका मन भर आया। वह टूटे स्वर में कहने लगा- किन्तु मैं उठकर चल नही सकता ... बच्चे ...‘‘क्या करूं मैं इतना छोटा हूं कि तुम्हे उठा नहीं सकता।’’ सैनिक की लम्बी कदकाठी पर नजर डालते हुए क्षण भर रूका। वह फिर कहने लगा- जंगल के मेरे सभी दोस्त जानवर इन निरंतर युद्धों में खत्म हो गये.....यहां तक की बम विस्फोटो की इस जहरीली हवाओं से एक पक्षी भी जिन्दा न बचा। मेरा प्यारा टामी भी मारा गया।’’ कहता हुआ वह अचानक आवेश मे भर उठा।‘‘बडा होकर इन दुश्मनों को देख लूंगा। सबको एक-एक कर खत्म नहीं कर दिया तो.....’’उसकी बात बीच मे ही काटते सैनिक ने पूछा’- ‘‘तुम्हारा घर किधर है? तुम किसके बेटे हो? घर में कौन कौन है?’’दूर उत्तरी ढ़लान की ओर इशारा करते हुए गोलू ने बताया कि मै वहां रहता हूं। घर में सिर्फ बूढे बाबा और मै हूं। मां-बापू शहीद हो चुके है। हरियल तोता, टामी सब...... बस! उनकी ये बंदूक अब मेरे पास है।’’ तभी कुछ पास आते पदचाप उन्हें सुनाई दिये। देखते ही देखते वे कुछ सैनिकों से घिर गये।‘‘ श्रीमान~ आप ही को हम ढंूढ रहे है, आप कुशल तो है’’ सेल्यूट करते हुए उन सैनिको में से एक ने घायल को संबोधित करते हुए कहा।‘‘हां ! इस नन्हें सैनिक की सेवा से’’ बालक की और इशारा करते हुए घायल सैनिक ने जवाब दिया। दूसरे सैनिक उसे उठाने का प्रयास करते इससे पूर्व ही वह फिर बोल उठा- ‘‘ठहरों ! मुझे इस बालक से कुछ जरूरी बात करनी है।’’ आज्ञा का पालन करते हुए सभी सैनिक एक कदम पीछे हट गये।‘‘ बेटे एक बात बताओं, अगर तुम्हें युद्ध करने वाला दुश्मन का नेता मिल जाए तो तुम क्या करोंगे?’’‘‘मैं उसे मार डालूंगा।’’ तत्क्षण ही वह बंदूक थामे चिल्ला उठा। घायल सैनिक का मान-सम्मान उससे छिपा नहीं था। वह बहुत कुछ मन ही मन समझ चुका था। फिर भी उसने बड़ी निडरता से उत्तर दिया।एक क्षण घायल सैनिक ताकता रहा फिर बोला- ‘‘लो मुझे मार डालो। तुम्हारे दुश्मनों का सेना नायक तुम्हारे सामने खड़ा है।’’बालक सहित दूसरे सैनिक भी अंचभित थे। गोलू की तनी गर्दन कुल ढ़ीली हुई।‘‘ आपको देखभाल की जरूरत है। आप पर मैं बंदूक नही चला सकता। कभी युद्ध में मिलिए। कह कर जाने के लिए मुड़ गया।उसके इस चुनौती भरे उत्तर पर सैनिक उसे रोकने का प्रयास करने लगे। तभी घायल सेना नायक ने गोलू को पुकारा- ‘‘ठहरों बालक, यह तो बताते जाओं कि तुमने मानव सेवा का पाठ कहां से पढा?‘‘मेरे बाबा कहते है कि मानव सेवा सर्वोपरि है। और वह चल पड़ा।‘‘ मुझे तुम पर गर्व है नन्हे सैनिक। तुम्हारे देश को हमेशा-हमेशा के लिए युद्ध से मुक्त कराने का वायदा करता हंू।सेना नायक की बात सुन प्रसन्न हो उस नन्हे सैनिक ने अपनी टोप उतार सेना नायक को सिर झुझाकर आपनी कतज्ञता प्रकट की। जब तक सेना नायक आंखांे से ओझल न हो गया वे एक दूसरे को देर तक हाथ हिलाते हुए अलविदा कहते रहें।

2 टिप्‍पणियां:

  1. 'नन्हे-सैनिक'कहानी बच्चों में सेवा के भाव व् दुश्मन को माफ़ करने की शक्ति तथा उनके निष्कपट हृदय की परिचायक है.बल-हृदय की भावनाओं के सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए विमलाजी बधाई के पात्र है .

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  2. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिन्‍दी के इस ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है .. आपके अच्‍छे भविष्‍य के लिए शुभकामनाएं !!

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